उद्घोष

 

उद्घोष
श्रीमान मार्शल समर्स ने
इसे आकाशीय तरंगों से मानव भाषा में अवतरित किया है
दिनांक 7 जुलाई २००६, बोल्डर, कोलोराडो में

परमात्मा ने एक नवीन, दिव्य संदेश, मनुश्य जाति के लिए भेजा है. इस संदेश को स्वय ईश्वर द्वारा रचा गया है।

इसे देवताओं की देखरेख में हमारी भाषा में अनुवादित किया गया है ताकि संदेश को समझने में हम कोई ग़लती ना करें।

इससे पहिले भी ईश्वर ने कई बार विभिन युगों में हमें ऐसे संदेश भेजे हैं।

यह संदेश विशेष रूप से वर्तमान समय एवं आने वाले समय को ध्यान में रखकर भेजा गया है।

इससे पहले भी ईश्वर ने अतीत में कई मौकों पर इस तरह के संदेश हमें भेजे थे, यह संदेश इसी शृंखला का नवीनतम हिस्सा है। ओर इस संदेश में कुछ. ऐसे तथ्य हैं ज़ो मनुष्य ज़ाती को इसके पहिले नहीं बताए गये हैं, क्योंकि इस समय मनुष्यता गंभीर चुनौतियों से जूझ रही है, इनमें से कुछ चुनौतियाँ पृथ्वी से उपज रही हैं और कुछ चुनौतियाँ पृथ्वी के बाहर, अन्य ग्रहों से आने वाली हैं।

इस नव संदेश का उदेश्य है कि मनुष्य जाती – हर देश, हर धर्म, हर समाज, हर समूह और हर संप्रदाय – को चेताया जा सके, सशक्त किया जा सके और तैयार किया जा सके।

इस नवीन संदेश की पृथ्वी पर मनुष्य जाती के लिए बहुत बड़ी आवश्यकता है, और आप इस संदेश को समझेंगे या ना समझेंगे इस के आने वाले समय में काफ़ी बड़े स्तर पर परिणाम होंगे। यह संदेश मानवता को ऐसी चीज़ों से अवगत कराएगा जिन का मानवता को अब तक ज्ञान नहीं है।

यह सन्देश मनुष्यता के सामने आने वाले बदलाव की विशाल लहरों की भविष्यवाणी कर रहा है। आने वाली बदलाव की लहरें पृथ्वी वासियों का अन्य ग्रहों से संपर्क तथा पृथ्वी की ब्रह्माण्ड में स्थिति से सम्भंदित हैं।

ये सन्देश प्रत्येक मनुष्य के भीतर दबी आध्यात्मिक मौजूदगी को बुलावा दे रहा है, यह दिव्या ज्ञान का भंडार जो हर मनुष्य के भीतर मौजूद है, इसे सींचकर, मजबूत कर उभारने की आवश्यकता है।

यह आपके भीतर छिपी आत्मिक तड़प का उत्तर है, आपका एक हिस्सा उद्देश्य ढूंढ रहा है, लख्श्य खोज रहा है एवं दिशा ढूंढ रहा है, उसी हिस्से के साथ यह सन्देश एक संवाद स्थापित कर रहा है।

कुछ रिश्ते आप शरीर व मन कि आवश्यकताओं के आधार पर बनाते हो, लेकिन कुछ रिश्ते आपकी गहरी आत्मिक प्यास को भुजाते हैं, ये सन्देश ऐसे ही आत्मिक संबंधों को बनाने के लिए आपका मार्गदरशन करेगा।

जो भी इस सन्देश को सुनेंगे, समझेंगे एवं अपने जीवन में पालेंगे, उन्हें अपने जीवन में पूर्णता का अनुभव होगा, उन्हें मिलकर काम करने की क्षमता, शक्ति तथा दिव्या ज्ञान का भी अनुभव होगा। इस ज्ञान को बाँटने वालों को मान्यता भी मिलेगी। इस सन्देश को बांटें, अपने आस पास लोगों के साथ, आपके परिवार के साथ, अपनी बिरादरी के साथ, पूरे देश व् दुनिया के साथ बांटें , ये सन्देश इस समय दुनिया की ज़रुरत को देखकर लिखा गया है और आने वाले समय में भी इस की ज़रुरत रहेगी।

यह सिर्फ़ लिखा हुआ संदेश ही नहीं है, अपितु पाठक के लिए आशीर्वाद है। इसे पड़ने तक सीमित ना रखें, बलिकि इसे अपने जीवन में उतारें, क्योंकि इससे आप भीतर के गहनतम परतों से जुड़ेंगे। आप के आस पास में परंपराओं में जो सार्थक है और जो अनावश्यक है इस भेद को समझेंगे। ये सन्देश आपके विचारों, धारणाओं, आपके समूह के विचारों तथा धारणाओं एवं आपके देश के विचारों तथा धारणाओं के बीच से गुज़रकर आपके हृदय के साथ सेतु बनाएगा।

यह आशीर्वाद पूरी तरह ग्रहण करने के लिए इस संदेश से सीखने की ज़रूरत है, इसमे काफ़ी संयम लगेगा, हमारे अँग्रेज़ी किताब “Steps to knowledge” में दिए गये अभ्यास इसमे आपकी सहयता करेंगे इसे सीखने से ब्रह्माण्ड के महान समाजों के ज्ञान से आप परिचित होंगे, और आप ऐसी आध्यात्मिकता को जानेंगे जो आपको शक्ति प्रदान करेगा एवं मनुष्यता आने वाले कठिन और गंभीर चुनौतियों का सामना कर पायेगी। इसे सीखने से ब्रह्माण्ड के महान समाजों के ज्ञान से आप परिचित होंगे, और आप ऐसी आध्यात्मिकता को जानेंगे जो आपको शक्ति प्रदान करेगा एवं मनुष्यता आने वाले कठिन और गंभीर चुनौतियों का सामना कर पायेगी।

इस समय काल में पृथ्वी वासियों की स्वतंत्रता के लिए खतरों का माहौल बन रहा है, ऐसे में स्वतंत्रता को बचाना है तो आपसी सहयोग एवं ज़िम्मेदारी के साथ आगे बढ़ने के लिए ये सन्देश आप का मार्गदर्शन करेगा।

अगर ये नव संदेश आप तक नहीं पहुँचाया जाता, तो मानवता गंभीर रूप से, तेज़ी से, पतन की ओर अग्रेसर रहती, क्योंकि मानवता की स्वतंत्रता एवं सत्ता को आने वाले समय में पृथ्वी के पड़ोस में स्थित अन्य गृह वासियों से गंभीर ख़तरों का सामना करना पड़ेगा।

इस नव सन्देश के बिना आपकी आत्मा सुप्त और निराश रहेगी, एवं आपको संघर्ष और स्पर्धा के माहौल में रहना होगा।

ईश्वर की इच्छा है कि मानव जाती ब्रह्माण्ड बिरादरी से परिचय बनाये, और पृथ्वी वासी एक स्वतंत्र कौम के रूप में परिचय बनायें, और पृथ्वी की सत्ता व शासन पृथ्वी वासियों के हाथों में ही रहे, आप एक ताकतवर कौम के रूप में उभरें और एकजुट रहें और अपनी सांस्कृतिक विविधता को बनाए रखे। साथ साथ अपने भीतर छिपी शक्ति और उद्देश्य को स्वीकारें और पहचानें, जिससे कि विश्व सशक्त बने और मनुष्य जाती ऊर्जावान, सक्रिय और रचनात्मक तरीके से भविष्य में प्रगति के लिए इस चुनौती को अवसर में बदल सके।

प्रगति के पथ पर अग्रेसर होने के लिए ये ज़रूरी है कि आप पहिले स्वय को बचाये रखें। आने वाले मुश्किल समय में स्वय को बचाना इसलिए ज़्यादा ज़रूरी हो जाता है क्योंकि अन्य गृह वासियों के साथ पृथ्वी पर वर्चस्व कि लड़ाई करनी पड़ेगी।

आप में से प्रत्येक व्यक्ति को ये याद रखना चाहिए कि ये एक स्वर्णिम अवसर भी है, जिसमें आप अपने भीतर के परम ज्ञान के साथ जुड़ सकें, जिसे ईश्वर ने आपके भीतर रखा है। इस परम ज्ञान से जुड़ने पर अपने व्यक्तिगत प्रश्नों का उत्तर जानेंगे, आपके जीवन को सही दिशा मिलेगी एवं अपने जीवन के उद्देश्य को जानेंगे। और ये ज्ञान आपके जीवन में सार्थक रिश्ते बनाने में आपका मार्गदर्शन करेगा।

यह दिव्य संदेश न सिर्फ प्रत्येक मनुश्य के लिए है अपितु ये पूरे विश्व के लिए भी उतना ही सार्थक है।

इस संदेश को ग्रहण करने में वाहक को लंबा समय लगा है, क्योंकि संदेश काफ़ी व्यापक है, दिव्या संदेश को विश्व में लेन के लिए सन्देश वाहक का आदर किया जाना चाहिए।

संदेश वाहक एक विनम्र व्यक्ति हैं, इन्होने इस महान कार्य को अंज़ाम देने के लिए विशेष बुद्धिमत्ता विक्सित कि है, और इन्हें इसी कार्य हेतु पृथ्वी पर भेजा गया है।

इन्हें समझें, इनका स्वीकार करें, पर इन्हें उँचें आसान पर न बिठाएँ। सन्देश वाहक भगवान नहीं है, इन्होने सिर्फ ईश्वर का सन्देश दुनिया तक पहुँचाने का कार्य किया है।

यह समय काल चुनौती के साथ साथ शुभ अवसर भी है। ये अवसर तुम्हारी प्रार्थनाओं का फल है, तुममें से कई लोगों नें – जो अलग अलग देश, धर्म, मान्यता व् परंपरा के हैं, ईश्वर से शक्ती, ज्ञान, एकता तथा मुक्ति व मोक्ष के लिए प्रार्थना की थी।

यह सन्देश उपयुक्त समय पर आपके समक्ष रखा जा रहा है, इसे स्वीकार करें।