प्रवचन

श्रीमानमार्शलसमर्सने
इसेआकाशीयतरंगोंसेमानवभाषामेंअवतरितकियाहै
दिनांक१अप्रैल२०११, बोल्डर, कोलोराडोमें
परमात्मा ने फिर पुकारा है

इस सन्देश को पृथ्वी वासियों तक हम लेकर आये हैं। हम इस सन्देश में ईश्वर की इच्छा के बारे में बात करेंगे।

आप हमें नहीं जानते, न ही आपकी बुद्धि, आपके अनुमान और आंकलन, न ही आपके मज़हबी सिद्धांत आपकी सहायता करेंगे हमें पहचानने के लिए।

क्योंकि मनुष्य कल्पना संसार की वस्तुओं तक ही सीमित है जबकि सचाई इसके पार है, असलियत आपकी बुद्धि की पहुँच और क्षेत्र के बाहर है।

यह सत्य पूरे ब्रह्माण्ड में व्यापक है, आप का जीवन भी ऐसी ही ब्रह्माण्ड बिरादरी का हिस्सा है ।

यह महान सन्देश विशेषत: वर्तमान समय के लिए संपूर्ण ब्रह्माण्ड के रचने वाले ईश्वर द्वारा रचा गया है, इसका उद्देश्य है मानवता की रक्षा व् उद्दार करना।

आप बुद्धि से हमें समझ न पाएंगे। क्योंकि हम माध्यम हैं स्त्रोत के लिए, हम ऐसे तथ्य आपके सामने रखेंगे जिन्हें आपको मान्यता देनी होगी, और उन्हें स्वय से अमल में लाना होगा, आपको वह देखना होगा जो आप ने अब तक नहीं देखा, आपको वो जानना होगा जिससे आज तक आप अनजान थे, वो सब करना होगा जो आप ने आज तक नहीं किया।

हमारा सन्देश आप के विशेष वर्तमान समय के लिए है। और हम कुछ रहस्यों को उजागर करने जा रहे हैं।

एक मनुष्य को इसी कार्य हेतु भेजा गया है, ताकि इन रहस्यों को आपके सामने लाया जा सके, इस मनुष्य का काम आपको जागरूक करना है, यह अत्यंत महान कार्य है।

नूतन दिव्य सन्देश को मानवता तक पहुँचाना एक बहुत ही महान कार्य है क्योंकि मनुष्य इतिहास के सबसे बड़े रहस्य पृथ्वी वासियों के सामने उजागर करने का समय आ गया है।

दिव्य सन्देश को मानवता तक पहुँचाना अत्यंत महान कार्य है, सन्देश वाहक के लिए और उन सब के लिए जो इसमें सहायता देंगे और इसका प्रसार प्रचार करेंगे।

क्योंकि मानवता के सामने संकट का समय है, इसीलिए इस सन्देश की ज़रुरत है। मानव जाती ने पर्यावरण की बर्बादी व् दुर्दशा के द्वारा अपनी ही समाप्ति के बीज बोये हैं, जल, भूमि एवं हवा संसाधनों के दुरूपयोग से आपकी दुनिया में बड़े बदलाव आ रहे हैं, ये ऐसे बदलाव हैं जिनसे मानव जाती के समक्ष परीक्षा कि घडी है, और साथ साथ पीड़ा की भी सम्भावना है।

मानवता का सामना ब्रह्माण्ड में बसे अन्य ग्रहों के प्राणियों से होने जा रहा है, जो अत्यंत बुद्धिमान हैं। मानवता को इस संपर्क के लिए तैयार होना पड़ेगा, इस संपर्क की शुरुआत हो चुकी है, संपर्क करने वाले अन्य ग्रह वासी पृथ्वी की कमज़ोरियों में और टकराव में एक अवसर देख रहे हैं।

आपके सामने एक बड़े बदलाव और अनिश्चितता का समय है, जहाँ बाहरी ताकतें पृथ्वी पर अपना प्रभाव बनाना चाहती हैं, और सम्भावना है कि मनुष्यता अपनी ही नादानी, बेवकूफी और विलासिता के कारण विनाश का शिकार बने।

यह सन्देश एक वाक्य में नहीं समां सकता, पर यह आपको परमात्मा के करीब लाएगा, परमात्मा ने आपको व्यक्ति के तौर पर, दुनिया में जिस विशेष कार्य के लिए भेजा है, उसे जानने में आपकी सहायता करेगा, शायद आपको अपनी इस नियति का पूरा ज्ञान नहीं है।

पृथ्वी के पार फैले अस्तित्व की बुद्धिमता का ज्ञान ईश्वर ने इस सन्देश के माध्यम से आपके सामने रखा है, ताकि आप पृथ्वी के पार की दुनिया के लिए तैयार हो सकें ।

परमात्मा ने अध्यात्म का शुद्ध सारांश – जो इतिहास से अबाधित है, मानव चालबाज़ी से अनछुआ है, राजनीतिक संकल्पों और भ्रष्टाचार से मुक्त है, इस सन्देश के माध्यम से आपके सामने रखा है।

‘परम ज्ञान की ओर कदम’ इस प्रवचन श्रृंखला के अध्ययन से आप अपने भीतर के उस हिस्से से जुड़ पाएंगे जो परमात्मा ने आपके भीतर रखा है व् जो इस कठिन समय में आपका मार्ग दर्शन करेगा।

प्राकृर्तिक संसाधनों के अपव्यय एवं मनुष्य नादानी के कारण भीषण उथल पुथल आपके संसार में होने जा रही है, इसकी शुरुआत हो चुकी है।

इसलिए समय है कि अहंकार व् मूर्खता को त्याग कर, अपना आंकलन करें, और ज़िम्मेदारी के साथ आगे बड़े।

सिर्फ ईश्वर ही जानते हैं कि कैसा समय आने वाले वर्षों में आपके सामने होगा।

हमारे इस सन्देश में हज़ारों सन्देश छुपे हुए हैं, हज़ारों शिक्षाएं सम्मिलित हैं, यह सन्देश इतना व्यापक है कि इसे पड़ने व् समझने में आपको अपनी बाकी उम्र खर्च करनी पड़े, यह आपको एक उज्वल भविष्य जो आपके अतीत से बेहतर हो – बनाने में आपका मार्गदर्शन करे, व आप आने वाले विशाल बदलाव की लहरों को देख सके और उनसे बच सके और अन्य गृह वासियों के हस्त-क्षेप व् प्रतिस्पर्धा का सामना कर पाए, ऐसी सम्भावना है।

इसे समझने के लिए अपने विचारों और विश्वासों को त्यागना होगा, इसे समझने के लिए अपने गहनतम परतों से जुड़ना होगा, जो ईश्वर ने आपके भीतर रखे हैं। अपने भीतर के परम ज्ञान से जुड़ने के बाद आप इसे समझ पाएंगे, संसार को सही अर्थों में देख पाएंगे, और अधिक निश्चय के साथ कार्य कर पाएंगे।

हमारे शब्दों का उपयोग तर्क वितर्क के लिए न करें, अगर आप ऐसा करते हैं तो अपनी मूर्खता एवं विलासिता को बढ़ावा देंगे।

आप इस आकाशवाणी से भयभीत हैं, क्योंकि यह आपके जीवन को बदलने की क्षमता रखती है। पर आप इस आकाशवाणी को चाहते भी हैं, क्योंकि इसीसे आपके जीवन में बदलाव आ सकता है।

अगर आप देख नहीं पा रहे हैं तो इसका कारण आपके मन का द्वन्द है। आपके मन में भिन्न भिन्न इरादे हैं जो एक दूसरे से मेल नहीं खाते पर विरोधी दिशा में आपको ले जाना चाहते हैं, यही आपके द्वन्द के कारण हैं।

इस ईश्वरीय आकाशवाणी को संसार में लाने के लिए हमें माध्यम बनाया गया है।

क्योंकि परमात्मा बातें नहीं करते हैं, क्योंकि वो एक व्यक्ति या शख्सियत नहीं हैं, न ही वो पृथक अभिव्यक्ति हैं। ईश्वर को इस तरह देखना ऐसा ही है जैसा उसे छोटा समझना और अपने आप को बड़ा समझना।

हम ने ही मुहम्मद, जीसस व् बुद्धा और अन्य गुरुओं – जिन्होंने विभिन्न युगों में मानवता को नयी राह दिखाई – हर समय काल में पैगंबरों व् ईश्वर दूतों को सन्देश दिया था । इस तरह के लोग सिर्फ ऐसे समय पर जन्म लेते हैं जब पृथ्वी महान मोड़ पर से गुज़रती है ।

आप हमें पूज नहीं पाएंगे, आप हमारे नाम तक नहीं जानते ।

आवश्यकता इस बात की है कि आप अपनी ज़िम्मेदारी को समझें एवं अपना हुनर एवं शक्ति जो परमात्मा ने आपको दिए हैं, उन्हें संसार की सेवा में उपयोग करें, आप के संसार में तेज़ी से आवश्यकताएं, अशांति और उथल-पुथल फ़ैल रहे हैं।

परमात्मा को दंडवत प्रणाम न करें अगर आप वो सब कुछ नहीं कर रहे हैं जिसके लिए आप का जनम हुआ है या अगर आपको ये अहंकार है कि आप स्वंय अपना भाग्य व् नियति बना सकते हैं या पूर्ण संतुष्टि प्राप्त कर सकते हैं या अगर आप परम ज्ञान की शिक्षा पाना नहीं चाहते, तो परमात्मा को दंडवत प्रणाम करने से कोई नतीजा नहीं निकलेगा।

डोंगी न बनें। यदि आप ईश्वर के इस कार्य में सहयोग नहीं करना चाहते तो ईश्वर की पूजा न करें या पूजा करने का ढोंग न करें ।

इस से बेहतर है कि अपनी स्वंय निर्धारित ज़िन्दगी जीएं, स्वय जीवन के सब संकटों का सामना करें, बजाय इसके कि ईश्वर की पूजा करें जिस ईश्वर के आप काम न आ सकें।

अगर आप इस सन्देश के प्रति संवेदनशील नहीं हैं, तो इस समय आप क्या कर रहे हैं ?

इससे पहिले भी हर सन्देश वाहक को कष्ट दिया गया है। हर सन्देश वाहक को गलत समझा गया है। हर नयी आकाशवाणी का विरोध हुआ, नाकारा गया और संदेह के साथ देखा गया।

इस बार ऐसा कुछ करने के लिए समय नहीं है। मानव जाती का भाग्य आने वाले बीस सालों में निर्धारित होगा – बीस सालों में दुनिया की स्थति, मानव जाती की स्थति एवं मानव सभ्यता की दिशा निर्धारित होने जा रही है।

ब्रह्माण्ड में आप अकेले नहीं हैं, न ही विश्व में अकेले हैं। आप को ज्ञात नहीं है कि क्या हो रहा है और क्या होने जा रहा है, क्योंकि आप भयभीत हैं, अहंकार से भरे हैं, और ये सोच रहें हैं कि सब जानते हैं। इसलिए यह ज़रूरी है कि आकाशवाणी आप तक पहुंचे, आप जानें कि आप क्या नहीं देख रहे हैं, आप की समझ मनुष्य अनुमान तक ही सीमित है। यह धागा नूतन दिव्य सन्देश के पूर्ण भागों में पिरोया हुआ है।

यदि आप नूतन दिव्य सन्देश को अनदेखा करते हैं, तो अपने ही विवेक से संघर्ष करेंगे, यही नूतन दिव्य सन्देश है।

ईश्वर ने आपको उच्च बुद्धि प्रदान की है और उच्च सामर्थ्य भी दिया है, यह ज्ञात रखें।

यह तथ्य हर धर्म ने सिखाया है, पर हर धर्म ने इसे छुपा भी दिया है और यह तथ्य छुपा हुआ है, समय आ गया है कि इसे पहचानें और मान्यता दें।

आपकी दुनिया का संचालन परमात्मा नहीं कर रहे हैं, प्राकृतिक विपदा, तूफ़ान, भूकंप, बाड़, अकाल – ये सब परमात्मा नहीं रच रहे हैं।

ईश्वर सिर्फ देख रहे हैं कि पृथ्वी वासी इस बदले हुए संसार का सामना कैसे करेंगे, जबकि बदलाव इतना तीव्र है कि आने वाले समय के बारे में अनुमान लगाना मुश्किल है।

मानव समाज ब्रह्माण्ड में अपनी बिरादरी (अन्य ग्रह वासी) से अवगत होने जा रहा है, क्योंकि इस बिरादरी में से कुछ प्राणी आपके संसार में अपना प्रभुत्व बनाने की कोशिश करेंगे क्योंकि आपका संसार उनके लिए महत्वपूर्ण और उपयोगी है।

पर कुछ लोग देख नहीं रहे, सुन भी नहीं रहे। और अगर ऐसे लोग कभी सोच विचार भी करते हैं तो सिर्फ ऐसी ही समझ बनाएंगे जो उनके पूर्व धारणाओं से मेल खाये।

क्योंकि लोग देख नहीं रहे हैं, इसीलिए देश तैयारी नहीं करते, और उनका विनाशकारी आचरण चल रहा है।

हम आपके विश्व पर नज़र रखते हैं। ऐसा हम एक लम्बे समय से करते आ रहे हैं।

परमात्मा ने हमें चुना है मानवता का निरिक्षण करने के लिए, ताकि मानव जाती विकास की ओर बढ़ सके। परमात्मा हमें ऐसी अंतर्दृष्टि देते हैं जो हम सन्देश वाहकों एवं पैगम्बरों को दिया करते हैं, ताकि समय रहते आपको सचेत किया जा सके, आपको तैयार किया जा सके और आपको आशीर्वाद भी दी जा सके, क्योंकि जल्द ही आपका मुक़ाबला महान समाजों (अन्य गृह वासियों के साथ) से होने जा रहा है।

परमात्मा मानव जाती को बचाने के लिए विपदा को समाप्त कर दें ऐसा नहीं होगा। समस्याएं जो आपने बनाई हैं या समस्याएं जिन्हें आप प्राकृर्तिक विकास यात्रा के अंतर्गत अपने सामने पाएंगे, ऐसी समस्याओं का समाधान आप को ही ढूंढना पड़ेगा।

अगर आप सोच रहे हैं कि परमात्मा इन परेशानियों से आपको बचाने आएंगे तो ये आपकी ग़लतफ़हमी है, इस प्रकार की सोच ये दर्शाती है की आप अपने भीतर के परम ज्ञान से जुदा हैं, जो कि सत्य नहीं है।

परम तत्व से अलग आप कभी नहीं थे न ही अलग हैं, आपका एक हिस्सा अब भी उस तत्व से जुड़ा हुआ है।

हम इसे परम ज्ञान कहते हैं। आपके जीवन में यह निर्णायक अंग साबित होगा। आपके व्यक्तिगत जीवन का मूल्य और उपयोगिता आप ढूंढ पाएंगे कि नहीं ये इसी पर निर्भर करेगा। मानवता खुद को समय के अनुरूप डालने के लिए तैयार है कि नहीं एवं बदलाव के द्वारा नए संसार की रचना करने की ताक़त है कि नहीं – ये सब इसी पर निर्भर करेगा।

इससे पहले मनुष्य जाती के इतिहास में ऐसे रहस्योद्घाटन कभी नहीं किये गए, क्योंकि ऐसी ज़रुरत नहीं थी।

पृथ्वी पर सभ्यत्ता जो विकसित हुयी है, वो भले ही टूटी हुयी एवं विभाजित है, लेकिन वो एक सभ्यत्ता है।

आपका देश, समाज दुसरे देशों और समाजों पर निर्भर होता चला गया है, ईश्वर की यही इच्छा थी, यही प्राकृतिक विकास की यात्रा है। यही ब्रह्माण्ड में अन्य बुद्धिशील प्राणियों के समूह में भी होता आया है।

इस समय आप ऐसी दहलीज पर खड़े हैं जहाँ आप संसार को सिमटता हुआ पाएंगे, जहाँ प्राकृतिक संसाधन कम हो रहे हैं, जहाँ स्थिरता घटती जा रही है, जहाँ जल और भोजन कम हो रहे हैं, ऐसे में बढ़ती हुयी मानव आबादी को विश्व में ऐसी हालातों का सामना करना पड़ेगा जहाँ आपको रहस्योद्घाटन की ज़रुरत पड़ेगी।

ईश्वर द्वारा भेजे गए सन्देश जो अब पुराने हो चले हैं वो आपको आने वाले बदलाव की विशाल लहरों से सुरक्षा नहीं दे पाएंगे। वे आपको ब्रह्माण्ड बिरादरी में नियति तक नहीं ले जा पाएंगे, वे आपको इस मुश्किल देहलीज़ के लिए तैयार नहीं कर पाएंगे, ऐसे बदलाव आपके संसार में शुरू हो चुके हैं एवं अधिक मात्रा में आने वाले हैं।

आने वाली परस्थितियों के लिए आपके पास हल नहीं है, इसीलिए यह उपदेश आपको दिए जा रहे हैं। मानवता को सचेत होना पड़ेगा, हमारे आशीर्वाद से ही आपका आगे का रास्ता प्रज्वलित होगा, क्योंकि जो आने वाला समय है वैसा समय पृथ्वी पर कभी नहीं देखा गया।

हमारे शब्दों को दिमाग से नहीं, दिल से सुनें। हमारे शब्द आपके भीतर जो गहरे में ज्ञान की परते हैं, उसको छूएंगे, यह ऐसी ज्ञान की परते हैं जो आपकी धारणाओं, विश्वास एवं मान्यताओं से परे हैं।

हमारे शब्द आपके इन गहरी परतों के साथ संवाद स्थापित करेंगे और इन गहरी परतों के साथ एक सामंजस्य बनेगा, ये परतें आपके भीतर में मौजूद हैं, आपके बुद्धि की परतों से भी गहरे में।

हमारा संवाद आपके भीतर गहरी परतों के साथ चल रहा है, ताकि इन परतों को बड़ा किया जा सके, बाहर लाया जा सके, कभी कभी आपकी सोच, आपके अनुभव और मान्यता इसके विपरीत हो सकते हैं।

आप तैयार नहीं थे, इसीलिए परमात्मा ने आपको तैयार करने के लिए यह सन्देश दिया है।

आप अनजान थे, इसीलिए परमात्मा आपको जगाने आये हैं।

आप असमंजस में हैं, परमात्मा आपको आपके ही केंद्र में छिपे निश्चय का रास्ता दिखा रहे हैं।

आप दुविधा में हैं, परमात्मा आपको इस दुविधा से बाहर निकलने का रास्ता दिखा रहे हैं।

आप स्वय को नीचा दिखाते हैं और दूसरों को भी नीचा दिखते हैं। परमात्मा आपको आपकी असली कीमत और संसार में आपका स्थान दिखा रहे हैं।

दुनिया बदल रही है और आप देख नहीं रहें हैं। परमात्मा ने आपको देखने के लिए आँखें और सुनने के लिए कान दिए हैं, पर आज आप जो कर रहे हैं, वो इसके अनुकूल नहीं है।

इस प्रवचन के बिना मानव जाती विफल होने जा रही है, दुनिया में अँधेरा, असुरक्षा और टकराव बढ़ता रहेगा।

मानव जाती अपनी गलतियों के चलते डगमगा रही है और विफल होने के रास्ते पर है, क्योंकि उसे आगे का रास्ता नहीं दिख रहा है।

संसार के संसाधन संघर्ष, विरोध अवरोध एवं युद्ध के लिए इस्तेमाल किये जायेंगे। जनता सरकारों के खिलाफ संघर्ष करेगी और समूह एक दुसरे के खिलाफ संघर्ष करेंगे।

आने वाले समय में इतने बड़े पैमाने पर टकराव होंगे जो इससे पहिले कभी नहीं हुए।

इन सब समस्याओं का समाधान हमारे प्रवचनों में छिपा है, इन में अपने भीतर की ताकत, बल एवं दृढ़ निश्चय की शक्ति के साथ जुड़ने के भी राज़ छुपे है।

इसके लिए ये ज़रूरी है कि आप अपने जीवन को गंभीरता से लें और जो ज़्यादा महत्वपूर्ण ज़रूरतें है उसपर ध्यान दें।

इसी लिए परमात्मा ने ये प्रवचन भेजे है।

यही रहस्योद्घाटन है, हम हीं रहस्योद्घाटन है ।

इस समय किसी व्यक्ति कि पूजा करने में अभिप्राय नहीं है, न ही किसी व्यक्ति को नायक बना कर मंच पर बिठाने से आपके प्रश्न हल होंगे, इस समय ज़रूरी ये है कि आप अधिक ज़िम्मेदारी निभाएं एवं अधिक ज्ञान का उपयोग करें।

आप इन परिस्थितियों से भाग नहीं सकते, न ही व्यक्तिगत मोक्ष के अनुभव से कोई हल निकलेगा।

स्वंय को धोखा देने से हल नहीं निकलेगा, पर ज़रुरत है ज़्यादा अनुकम्पा, ज़्यादा ज़िम्मेदारी, योगदान एवं बलिदान की।

इसी से विश्व को बचाया जा सकता है, इसी से मानव जाती की आज़ादी को बचाया जा सकेगा, क्योंकि स्वतंत्रता और स्वाधीनता अस्तित्व में विरले जगहों पर हैं, इसलिए इन्हें बचाना बहुत ज़रूरी है।

इसीसे व्यक्ति का आत्म सम्मान दुबारा लाया जा सकता है, आप की परिस्थिति जैसी भी हो, अपने योगदान की शक्ति आप अनुभव करेंगे और खुद के महत्व का भी अनुभव करेंगे।

इन शब्दों को सुनें – अपने विचार अलग रखकर, अपने विश्वास अलग रखकर और अपनी धारणाओं को अलग रखकर – इन शब्दों को अपने दिल से सुनें।

परमात्मा ने आपके भीतर जिसे बनाया है उसी से वार्तालाप कर सकते हैं। आपके विचार और विश्वास परमात्मा ने नहीं बनाये, आपके सामाजिक व्यक्तित्व को परमात्मा ने नहीं बनाया, आपके फैसले परमात्मा नहीं ले रहे हैं और आपकी नाकामयाबी या खेद में परमात्मा का योगदान नहीं है।

परमात्मा उसी से वार्तालाप कर सकते हैं जिसे उन्होंने बनाया है, जो कि ज़्यादा गहरे में है, जो व्यापक है और स्वाभाविक है।

नूतन दिव्य सन्देश आपके लिए एक पुकार है। अगर आप इस से अवगत हो चुके हैं तो आपको इस चुनौती से गुज़रना होगा कि इस सन्देश का आपके जीवन में क्या अर्थ होगा।

लोग इस सन्देश को इसलिए नकारेंगे क्योंकि वे बदलाव नहीं चाहते, वे अपनी धारणाओं को परखना नहीं चाहते, अपने विचारों और समाज में अपनी स्थति को बदलना नहीं चाहते।
वे इसके बारे में कोई संदेह नहीं कर पाएंगे, इसे टाल सकते हैं या इसके खिलाफ तर्क दे सकते हैं, क्योंकि उन्होंने अपने जीवन की जो कल्पना बना रखी है उसे बचाना चाहते हैं।

परमात्मा की इच्छा और बुद्धिमता के खिलाफ कौन तर्क देगा, अगर वो तर्क बनावटी आधारों पर टिका नहीं है तो?

आप देखेंगे कि प्रत्येक व्यक्ति इस दुविधा से गुज़रेगा या गुज़र रहा है। क्या वे अपने साथ ईमानदार हैं? जो देख रहें हैं और जो समझ रहे हैं उसके प्रति ईमानदार हैं? वे अपने खुद के प्रति कितने जागरूक हैं, अपनी परिस्थिति और आस पास की दुनिया के प्रति कितने जागरूक हैं? क्या वो अपने जीवन में सामंजस्य लाने की ज़िम्मेदारी लेने के लिए तैयार हैं? इसके लिए उन्हें ऐसे फैसले लेने पड़ेंगे जिनसे वो बचते आ रहे हैं।

आप देखेंगे की बुद्धि अपने आप को परमात्मा जानने लगी है, जबकि बुद्धि सिर्फ और सिर्फ नौकर की तरह है।परमात्मा ने बुद्धि को नौकर का ही दर्जा दिया था।

आप देखेंगे की अहंकार और अज्ञान एक साथ मिलकर, अपने ही खिलाफ जा रहे हैं, यह प्रवृत्ति काफी लोगों में है।

यह सन्देश आपको सहायता करेगा ये देखने के लिए कि क्या महान है क्या तृछ, क्या मज़बूत है और क्या कमज़ोर, क्या सही है और क्या गलत और क्या सिर्फ ढोंग कर रहा है मूल्यवान होने का।

ये प्रवचन इन सब रहस्यों को उजागर करेगा।

आपको निमंत्रण है कि जो आपके भीतर महान है उसके साथ रहें, उसका साथ निभाएं, और जो तृछ है उसे इस्तेमाल करें। इसके अलावा कोई दूसरा बीच का रास्ता नहीं है।

आप सब कुछ हासिल नहीं कर सकते, क्योंकि आप का भूत कल और भविष्य काल एक दुसरे से मेल नहीं खाएंगे।

निराशा और नाकामी के अनुभव के बाद ही आप ये जान पाएंगे कि जिस प्रकार का जीवन आपकी नियति है वो जीवन आप नहीं जी रहे हैं। आप ये जानेंगे कि आप अपने साथ कितने ईमानदार हैं तथा औरों के साथ कितने ईमानदार हैं – ये समय इस कठोर सचाई को जानने का है, अनुभव करने का है, और इसीलिए हम इसे रहस्योद्घाटन का नाम दे रहे हैं।

हमारे शब्दों को सुनें और पड़ें – अपने विचार, विश्वास, धारणाएं, अपना अहंकार, घमंड, बेवकूफी, अपने आप को बचाने कि प्रवुर्ति – इन सबको बीच में न लाएं, पर अपने भीतर के गहरे परतों तक इन्हें जाने दें, क्योंकि ये रहस्य आपके सामने खोले जा रहे हैं।

ये रहस्योदघाटन का एक हिस्सा है।